दाल (Dal)
गहत (कुल्थी)की दाल
सामग्री
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गहत (कुल्थी)-300 ग्राम
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हल्दी –एक छोटा चम्मच
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धनिया पाउडर –एक छोटा चम्मच
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लाल मिर्च पाउडर –एक छोटा चम्मच
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अदरक –एक छोटा टुकड़ा (बारीक कटा हुआ)
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लहसुन -4/5 कलियाँ (बारीक कटी हुई)
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हिंग –चुटकी भर
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जीरा –एक छोटा चम्मच
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घी –दो बड़े चम्मच
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नमक –स्वादानुसार
विधि
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दाल को धो कर नमक ,अदरक,लहसुन,धनिया पाउडर,लाल मिर्च पाउडर व् हल्दी डाल कर दो तीन सीटी आने तक उबाल लें
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अब एक कडाही में धी गर्म करें और हिंग जीरा का छौक लगाये और दाल डाल कर कुछ देर पका लें
मसूर और मूंग दाल सूप
सामग्री
- प्याज़ -एक छोटा
- पत्ता गोभी -एक कप
- गाजर -आधा कप (बारीक कटी )
- धुली मूंग दाल -दो बड़े चम्मच
- धुली मसूर दाल -दो बड़े चम्मच
- लहसुन -दो या तीन कलियाँ
- दालचीनी -एक टुकड़ा
- मक्खन -दो चम्मच
- पानी – पाँच कप
- नमक –स्वादानुसार
- कालीमिर्च पाउडर -चुटकी भर
- गार्निश के लिए -क्रीम व धनिया
विधि
- कुकर मे मक्खन डालकर इसमे प्याज व लहसुन डालें
- प्याज़ व लहसुन सुनहरा होने पर बाकी सब्जियाँ डालकर थोड़ी देर भुने
- अब इसमे पानी डालें और एक सीटी आने तक पकाए
- ठंडा होने पर ब्लैंडर से मैश कर के छान लें
- सर्व करते समय क्रीम और धनिये से सजाएँ
भरवाँ गज़ल –
कई दिन हो गए मुझे ब्लॉग लिखते हुए … पहली बार कुछ लिखना शुरू किया था मैंने … पोस्ट करने के बाद हर बार मेरी नज़र ब्लॉग के स्टेटस पर जाती है … उत्सुकता होती है कि मुझे कितने लोगों ने पढ़ा … कल जब मेरे पाठक बहुत कम हो गए…ग्राफ सीधे नीचे गोता लगा गया था कल …. तो सोचा आज क्यों न कोई नयी और अनूठी रेसिपी पेश करूँ… कुछ मित्रों की शिकायत थी कि आप विधि तो बताती हैं पर कभी बना कर खिलाइये भी … तो आज पेश है आपको एक तैयार रेसिपी – स्वाद लें (पसंद आये तो आशीष भी दें)
भरवाँ गज़ल –
सामग्री-
1. केसरिया जज़्बात
2. प्यार की चाशनी
3. तीखी यादें
4. आंसुओं का नमक
5. एहसास की खुशबू
6. मिजाज़ का खट्टा
इन सब को मिला कर दिल हौले हौले भरें और गम की मद्धम आंच पर पकाएं … और ठंडा होने से पहले ही सर्व करें … (नोट- ये रेसिपी दिलजलों की बस्ती में बड़ी चाव से इस्तेमाल की जाती है….)
आप को नज़र है नोश फरमाएं—
तनहाइयों का सिलसिला ये कैसा है
गर वो मेरा है तो फासला ये कैसा है
तुम न आओगे कभी ये मै जानती हूँ
फिर तेरी यादो का काफिला ये कैसा है
कभी नाचती थी खुशियाँ मेरे आंगन में
अब उदासियों का मरहला ये कैसा है
देख लूँ उसको तो दिल को सुकूं आये
मुझे जान से प्यारा दिलजला ये कैसा है
एहसास हो जायेगा मेरे जज़्बात का तुझको
देख मेरी आँखों में ज़लज़ला ये कैसा है
न इश्क ही जीता और न दिल ही हारा
वफ़ा की राह में मेरा हौसला ये कैसा है
हौसला तुझमे भी नहीं है जुदा होने का
दूर हो कर भी भला मामला ये कैसा है
(ये मेरी पहली गज़ल है …. अगर पसंद आये तो हौसला दें)